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mobile की लत

शीर्षक mobile की लत




राजा अपने घर का लाडला बेटा हुआ करता था 




और वह जो चाहता उसको दे दी जाती थी 




और उसको किसी भी चीज के लिए मना नहीं करते थे 




वह जो जो मांगता रहा उसको सब मिलता रहा 




जैसे "गाड़ी ,घोड़े ,खिलौने , कार आदी"।




एक दिन वह अपने " पिताजी" से मोबाइल की जिद्द कर रहा था




 और उसे मोबाइल भी मिल गया




 क्योंकि उसकी हर जिद्द को पूरा करते थे।




वह धीरे धीरे मोबाइल को अधिक चलाते हुए 




उसका आदि बनता जा रहा था 




और अपने दैनिक जीवन में उसका प्रयोग करके 




अपनी आदतों में ला रहा था।




"यदि उसे कुछ बात करनी हो 




 या कुछ देखना हो या कुछ काम करना हो 




तब वह मोबाइल का प्रयोग करता है"।




मेहमान ने कुछ इस तरह के सवाल राजा से पूछे




मेहमान : कैसे हो बेटा?




राजा : ठीक ठाक (मोबाइल पर ध्यान देते हुए)




मेहमान: क्या कर रहे हो?




राजा : कुछ भी नहीं।




कुछ दिनों के बाद आने वाले महीने में 




राजा की एग्जाम थी और फिर राजा अपनी पढ़ाई में 




ध्यान न देते हुए पूरा ध्यान मोबाइल पर ही था।




अध्यापक का जब पाठ पढ़ाकर खत्म हुआ 




तब अंत में सभी से प्रश्न किया




 तब राजा की बारी भी आई 




और वह कुछ भी बता नही पाया।




 " अध्यापक को जब पता चला की




 राजा का ध्यान पढ़ाई में न रहते हुए मोबाइल पर है




 तब राजा को फटकार भी लगाई 




और घर में भी सूचित किया गया"।




लेकिन इतना कुछ हो जाने के बाद भी




 राजा पर कुछ असर नहीं हुआ




 और वह मोबाइल पर ही पूरा ध्यान देता था 




और पढ़ाई में कुछ भी ध्यान नहीं दे रहा था।




राजा की यह मोबाइल चलाना उसकी लत बन गई थी 




और यह लत के कारण वह पढ़ाई से दूर भाग रहा था।




इसलिए कहा गया है की किसी भी चीज की आदत डालो 




तो अपने बाकी सभी चीजों में भी ध्यान रखो 




और लिमिट से ही काम करो।




" इसलिए किसी भी चीज को




 अपने आदत में ला रहे हो 




तो उसके ज्यादा आदि न बनो




 लिमिट में रहकर ही काम करो 




और अपना ध्यान रखो"।




आप को अपने घर का राजा बेटा तो बनना ही है




 पर राजा जैसे नहीं बनना है ,






आपको अपने घर का दुलारा 




बनना ह


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